Monday, December 7, 2009

फूल

जो उपर से अच्छे दीखते हे उनके मन में होती हे खोट,
इन फूलो ने मुझको पहुचाई हे चोट,
फूलो का मुस्कुराना मुझे कभी था भाता,
अब हर काँटों के अन्दर मुझे फुल सा चेहरा ही नज़र आता,
फूल सा चेहरा सामने आता हे क्यो,
मेरे दिल से पूछो ये घबरा जाता हे क्यो,
फूलो के पास होने से घबराती हु में ,
अब इसकी खुशबु से कतराती हु में,
काँटों से प्यार और फूलो से नफरत हे मुझे,
दुसरो से स्नेह और अपनों से शिकायत हे मुझे.....

1 comment:

  1. jaise hi mene phool geet padha,mere mann me apk vicharo ne khalbali macha di or mann kahne laga geet ki har pankti ko apne mann me basa lu.....
    bahut bahut dhanyawad aise hi sawendna purn geet likhti raho..................
    yogita patil

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